Sangeeta

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-03-May-2022 दिल हो गया बंजर धरती नैनो ने नीर बहाए

#नॉनस्टॉप लेखनी चैलेंज प्रतियोगिता 

संख्या नंबर २

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करना चाहा दु:ख ने एक दिन, सुख से दिल की बातें,

दिल खोल कर बैठ गया, न देखा दिन और रातें,


आखिर क्या दोष है मेरा, लोग मुझे ठुकराते हैं,

 लेकिन भैया सुख तुम्हें सब, दिल से गले लगाते हैं,


मेरी तो आहट सुनकर ही, मन ही मन घबराते हैं,

लेखा अपने भाग्य का, नियति को भूल जाते हैं,


समझ न पाते लोग कभी भी,समय का पहिया चलता है,

सुख के आने से पहले,दुख का भी चूल्हा जलता है,


करुण वेदना सुनते-सुनते, सुख ने दुख को समझाया,

दिल हो गया बंजर धरती, नैनों ने नीर बहाया,

संतुलन जग में बना रहे, अभिमान में न कोई तना रहे,

दुख के आने से लोगों में ,सुख का महत्व बना रहे,

इसीलिए सुख और दुख की, जग में रीत बनाई है,

संघर्षों का नाम ही दुख है, सुख उसकी परछाई है।
                  

संगीता वर्मा✍️...💞







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10 Comments

Reyaan

06-May-2022 11:36 AM

👏👌

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Farida

05-May-2022 06:57 PM

Very nice

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Haaya meer

05-May-2022 06:24 PM

Nice

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